prem
gazal our sayri
Friday, September 25, 2009
कुदरत
तमने जोया करू छू पण मिलन न मौका नथी मलता,
मंजिल छे सामे पण रास्ता नथी मलता;
नवीनता ने
न
ठुकराओ नवीनता ज प्राण पोषक छे,
जीवो छो कुदरत तरफ़ थी पण ऐना दरबार माँ स्वास पण जुना नथी मलता............
नफरत
नफरत
करने
वाले
कभी
नफरत
का
दामन
छोड़
नही
सकते
,
तो
महोब्बत
करनेवाले
महोब्बत
का
दामन
क्यों
छोड़
दे
। ................................
......................................................................................
प्रेम
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