prem
gazal our sayri
Tuesday, May 20, 2008
चाँद
दिल के आँगन से चाँद का दीदार हो गया,
देखते ही देखते चाँद बादलों मैं खो गया;
मैंने
बादल
हटने का इन्तेजार किया,
तब तक चाँद किसी और का हो गया। ......................................."प्रेम"
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