Sunday, December 21, 2008

जीना


"एक पल में जीना शिखा था

दूजे ही पल मैंने मरना शिखा था।

इस रुलाने वजह क्या पूछूं में आपसे,

हँसना भी तो मैंने आपसे शिखा था। "

12 comments:

Varun Kumar Jaiswal said...

सुंदर कविता है मित्र |
जीवन का मर्म दर्शाती है |
धन्यवाद |

bijnior district said...

हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे। बढ़िया लिखें ..हजारों शुभकामनांए

Prakash Badal said...

स्वागत है आपका लिखते रहें

अभिषेक मिश्र said...

Accchi tasveer ke saath acchi post, Swagat.

दिगम्बर नासवा said...

सुंदर सोच, अच्छा लिखा

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

जितना सुन्दर चित्र,उतने ही सुन्दर अल्फाज भी
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
खूब लिखें,अच्छा लिखें

Deepak Sharma said...

महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता

कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता ।


कविता शौक से भी लिखने का नहीं

इतनी सस्ती भी नहीं , इतनी बेदाम नहीं ।

कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,

मन की भीनी उमंग , मानवीय अहसास है ।


महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नही हैं कविता

कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥


कभी भी कविता विषय की मोहताज़ नहीं

नयन नीर है कविता, राग -साज़ भी नहीं ।

कभी कविता किसी अल्हड योवन का नाज़ है

कभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज है
कभी धड़कन तो कभी लहू की रवानी है

कभी रोटी की , कभी भूख की कहानी ही ।


महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं ही कविता,

कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं ही कविता ॥


मुफलिस ज़िस्म का उघडा बदन ही कभी

बेकफान लाश पर चदता हुआ कफ़न ही कभी ।

बेबस इन्स्सन का भीगा हुआ नयन ही कभी,

सर्दीली रत में ठिठुरता हुआ तन ही कभी ।

कविता बहती हुई आंखों में चिपका पीप ही,

कविता दूर नहीं कहीं, इंसान के समीप हैं ।

महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं ही कविता,

कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं ही कविता ॥


KAVI DEEPAK SHARMA

http://www.kavideepaksharma.co.in

http://Shayardeepaksharma.blogspot.com

Vivek Gupta said...

सुंदर

pritima vats said...

very nice poem.
thanks

प्रदीप मानोरिया said...

आपका चिट्ठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है

मेरे ब्लॉग पर पधारें आपका स्वागत है

प्रदीप मानोरिया said...

आपका चिट्ठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है

मेरे ब्लॉग पर पधारें आपका स्वागत है

rang de basanti said...

UNDAR KAVITA HE MITRA