gazal our sayri
कांटो से मैंने प्यार किया हैं कभी कभी,
फूलों को शर्मसार किया हैं कभी कभी;
अल्लाह रे बेखुदी की तेरे पास बैठकर,
तेरा ही इन्तेजार किया हैं कभी कभी............................."प्रेम"
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