Saturday, April 26, 2008

तनहा


"अपनों में रहे बेगानो की तरह,

लोगो में रहे अफसानोकी तरह;

जिन्हें चाहा था वो समज न पाए,

जो शायद समज शके वो चाह न पाए।

जिन्दगी ने ये कुछ ऐसी कहानी बनाईं,

बात दिल की थी जो जुबान पर न आई।

जो आया -मिला शिकवे गिले सुना गया,

बन गया में सबकी हँसी, पर मेरा दर्द कोई समज न पाया।

कोई भी न समजा मेरे प्यार को ,

इसी लिए आज तक भीड़ में भी ख़ुद को तनहा पाया................"प्रेम"

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