"अपनों में रहे बेगानो की तरह,
लोगो में रहे अफसानोकी तरह;
जिन्हें चाहा था वो समज न पाए,
जो शायद समज शके वो चाह न पाए।
जिन्दगी ने ये कुछ ऐसी कहानी बनाईं,
बात दिल की थी जो जुबान पर न आई।
जो आया -मिला शिकवे गिले सुना गया,
बन गया में सबकी हँसी, पर मेरा दर्द कोई समज न पाया।
कोई भी न समजा मेरे प्यार को ,
इसी लिए आज तक भीड़ में भी ख़ुद को तनहा पाया................"प्रेम"
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